हाइड्रोजन बम (Hydrogen Bomb) क्या है?परमाणु बम का ही एक प्रकार है हाइड्रोजन बम। यह परमाणु बम के मुकाबले हजारों गुना ज्यादा विनाशकारी होता है। इसमें हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम और ट्राइटिरियम का प्रयोग होता है। इसमें परमाणुओं के संलयन से विस्फोट होता है। सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा भी हाइड्रोजन के परमाणुओं के संलयन का नतीजा है। इससे पहले अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर चुके हैं।
हाइड्रोजन एवं परमाणु बम में अंतर
हाइड्रोजन बम में हाइड्रोजन के अणुओं का विलयन इस्तेमाल होता है, इसीलिए इसे हाइड्रोजन बम कहा जाता है।
हाइड्रोजन बम में चेन रिएक्शन के द्वारा फ्यूजन होता है, यह परमाणु बम के मुकाबले कई गुना शक्तिशाली होता है। हाइड्रोजन बम में ड्यूटीरियम और ट्राइटिरियम की आवश्यकता पड़ती है और परमाणुओं के संलयन से यह फटता है।
हाइड्रोजन बम अपनी ऊर्जा अणुओं के विलय (atomic fusion - एटॉमिक फ्यूज़न) से हासिल करता है, जबकि एटम बम अपनी ऊर्जा अणुओं के विखंडन (atomic fission - एटॉमिक फिशन) से हासिल करता है।
हाइड्रोजन बम के विस्फोट से 54 मेगा टन का धमाका करीब 16 किलोमीटर चौड़ा आग का गोला बनाता है, जबकि परमाणु विस्फोट में करीब 20 किलो टन से आधा किलोमीटर चौड़ा आग का गोला बनता है।
हाइड्रोजन बम के फटने से घातक रेडिएशन का असर तत्कला 12.8 किमी से 19 किमी तक के दायरे में होता है, जबकि परमाणु विस्फोट में 1.6 किमी का दायरा ही घातक रेडिएशन के प्रभाव में आ पाता है।
हाइड्रोजन बम को छोटे आकार में बनाया जाना सरल होता है, ताकि उसे मिसाइल में आसानी से फिट किया जा सके।
हाइड्रोजन एवं परमाणु बम में अंतर
हाइड्रोजन बम में हाइड्रोजन के अणुओं का विलयन इस्तेमाल होता है, इसीलिए इसे हाइड्रोजन बम कहा जाता है।
हाइड्रोजन बम में चेन रिएक्शन के द्वारा फ्यूजन होता है, यह परमाणु बम के मुकाबले कई गुना शक्तिशाली होता है। हाइड्रोजन बम में ड्यूटीरियम और ट्राइटिरियम की आवश्यकता पड़ती है और परमाणुओं के संलयन से यह फटता है।
हाइड्रोजन बम अपनी ऊर्जा अणुओं के विलय (atomic fusion - एटॉमिक फ्यूज़न) से हासिल करता है, जबकि एटम बम अपनी ऊर्जा अणुओं के विखंडन (atomic fission - एटॉमिक फिशन) से हासिल करता है।
हाइड्रोजन बम के विस्फोट से 54 मेगा टन का धमाका करीब 16 किलोमीटर चौड़ा आग का गोला बनाता है, जबकि परमाणु विस्फोट में करीब 20 किलो टन से आधा किलोमीटर चौड़ा आग का गोला बनता है।
हाइड्रोजन बम के फटने से घातक रेडिएशन का असर तत्कला 12.8 किमी से 19 किमी तक के दायरे में होता है, जबकि परमाणु विस्फोट में 1.6 किमी का दायरा ही घातक रेडिएशन के प्रभाव में आ पाता है।
हाइड्रोजन बम को छोटे आकार में बनाया जाना सरल होता है, ताकि उसे मिसाइल में आसानी से फिट किया जा सके।
दुनिया के सबसे खतरनाक बम
द केसल ब्रावो हाइड्रोजन : यह पहला हाइड्रोजन पर आधारित थर्मो परमाणु बम था जिसका परीक्षण अमेरिका ने किया। इस हाइड्रोजन बम की उपज लगभग 15,000 मेगाटन थी।
द मार्क-21 न्यूक्लियर बम : यह दुनिया के पावरफुल ग्रेविटी बम में से एक है जिसका परीक्षण 1954 में किया गया था। मार्क-21 बम 15 फुट लंबा और 15,000 पाउंड से भारी था।
टीसार बोम्बा : टीसार बोम्बा मानव इतिहास का सबसे शक्तिशाली परमाणु बम है। इसका नाम कुज किना मट भी है, क्योंकि यह रशियन फेडरेशन की ओर से बनाया गया था।
बी-53 परमाणु बम : बी-53 कोल्ड वार के समय यूनाइटेड स्टेस्ट्स एटोमिक एनर्जी कमीशन की ओर से बनाया गया था। बाद में इस बम को और भी शक्तिशाली बम में बदला गया।
द केसल ब्रावो हाइड्रोजन : यह पहला हाइड्रोजन पर आधारित थर्मो परमाणु बम था जिसका परीक्षण अमेरिका ने किया। इस हाइड्रोजन बम की उपज लगभग 15,000 मेगाटन थी।
द मार्क-21 न्यूक्लियर बम : यह दुनिया के पावरफुल ग्रेविटी बम में से एक है जिसका परीक्षण 1954 में किया गया था। मार्क-21 बम 15 फुट लंबा और 15,000 पाउंड से भारी था।
टीसार बोम्बा : टीसार बोम्बा मानव इतिहास का सबसे शक्तिशाली परमाणु बम है। इसका नाम कुज किना मट भी है, क्योंकि यह रशियन फेडरेशन की ओर से बनाया गया था।
बी-53 परमाणु बम : बी-53 कोल्ड वार के समय यूनाइटेड स्टेस्ट्स एटोमिक एनर्जी कमीशन की ओर से बनाया गया था। बाद में इस बम को और भी शक्तिशाली बम में बदला गया।
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