v ब्रहमांड के अन्दर उन सभी आकाशीय पिंडों एवं उल्काओं तथा समस्त सौर परिवार, जिसमे सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी आदि भी शामिल हैं, का अध्ययन किया जाता है।
v ब्रह्माण्ड का वैज्ञानिक अध्यन ब्रह्माण्ड विज्ञान (Cosmology) के अंतर्गत किया जाता है ।
v ब्रह्माण्ड के नियमित अध्ययन का प्रारम्भ क्लाडियस टालेमी द्वारा (140 ई.) में हुआ।
v टालेमी के अनुसार पृथ्वी ब्रह्माण्ड के केंद्र में है तथा सूर्य और अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं।
v 1573 ई. में कापरनिकस ने पृथ्वी के बदले सूर्य को केंद्र में स्वीकार किया।
v पृथ्वी व् चंद्रमा के बीच का अन्तरिक्ष भाग सिसलूनर कहलाता है।
v ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के विषय में तीन सिद्धांतों का प्रति पदन किया गया है—
1. महा विस्फोट सिद्धांत {बिग-बैंग थेओरी} — इसका प्रतिपादन जॉर्ज ली मैत्रे (Georges Lemaître) ने किया तथा बाद में Alen Guth ने विकसित किया।
2. निरंतर उत्पत्ति का सिद्धांत — इसका प्रतिपादन थॉमस गोल्ड और हमैन बॉण्डी (thomas gold and hammen bandi) ने किया।
3. संकुचन विमोचन का सिद्धांत (दोलन सिद्धांत) — इसका प्रतिपादन डॉ. एलेन सैण्डिज (Allan Sandage) ने किया।
v ब्रह्माण्ड में पाए जाने वाले सभी आकाशीय पिंडो की विशेषताओं का वैज्ञानिक अध्यन खगोलशास्त्र (Astronomy) के अंतर्गत किया जाता है।
v आकाशीय पिंडो की भौतिक विशेषताओं का वैज्ञानिक अध्यन (Astrophysics) के अंतर्गत किया जाता है।
v खगोलशास्त्री केपलर ने १६वी शताब्दी में ग्रहों के गति सम्भंदी नियमों का प्रतिपादन किया था।
v 1905 ई में खगोलशास्त्री एडविन हब्बल ने बताया की हमारी आकाशगंगा के सामान ब्रह्माण्ड में कई आकाशगंगा पाएं जाती हैं।
v ब्रह्माण्ड की जानकारी का सबसे आधुनिक स्रोत प्रो. जे. क्रॉय बुरबिज a(professor j kroy Burbidge) द्वारा प्रतिपादित किया गया, जो बता है की प्रत्येक गैलेक्सी ताप नाभिकीय अभिक्रिया के फलस्वरूप काफी मात्र में हीलियम उत्सर्जित करती है।
v प्रकाश वर्ष वह दूरी है जिसे प्रकाश शून्य में 29,7925 किमी. प्रति सेकेण्ड या लगभग 186282 मिल प्रति सेकेण्ड की गति से एक वर्ष में तय करता है।
v एक प्रकाश वर्ष = 9.4605284 × 1015 मीटर
v ब्रह्माण्ड इकाई से तात्पर्य सूर्य और पृथ्वी के बीच की औसत दूरी 149597870 किमी. (लगभग 149,600,000) किमी.) या 15 करोड़ किमी है।
v सूर्य और उसके पडोसी तारे सामान्य तौर से एक गोलाकार कक्षा में 150 किमी. प्रति सेकेण्ड की औसत गति से मन्दाकिनी केंद्र के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, इस गति से केंद्र के चारों एक एक चक्कर को पूरा करने में सूर्य को 25 करोड़ वर्ष लगते हैं। यह अवधि ब्रह्माण्ड वर्ष कहलाती है।
➨ आकाशीय पिंड {Celestial Bodies}
v आकाश गंगा या मन्दाकिनी तारों का एक विशाल पुंज है। अन्तरिक्ष में 10000 मिलियन (1010) आकाश गंगायें हैं। प्रत्येक आकाश गंगा में 100000 मिलियन (1011) तारे हैं। तारों के अतिरिक्त आकाश गंगा में धूल और गैस पाई जाती है।
v निहारिका अत्यधिक प्रकाशमान आकाशीय पिंड है, जो गैस और धुल के कणों से मिलकर बना है।
v तारामंडल तारों का एक समूह है, इस समय 89 तरमंदलों की पहचान की गयी है। इसमें हाइड्रा सबसे बड़ा है, जैसे – ग्रेट बियर, काल पुरुष आदि तारामंडल हैं।
v बारह तारामंडलों किपत्ति को राशी चक्र कहते हैं।
v क्वासर आकाशीय पिंड हैं, जो गैस और धूल के कणों से मिलकर बना होता है, परन्तु उर्जा का उत्सर्जन अधिक मात्रा में करते हैं।
v पुच्छल तारे या धूमकेतु आकाशीय धूल बर्फ और हिमानी गैसों के पिंड हैं, जो सूर्य के चरों ओर लम्बी किन्तु अनियमित कक्षा में घूमते हैं। 1986 ई में हैली पुच्चाल तारा 76.3 वर्षों के अन्तराल के बाद सूर्य के निकट बिना दूरदर्शी यंत्र के देखा गया।
➨ आकाशगंगा (Galaxy)
(i) elliptical
(ii) spiral
➨ आकाशगंगा (Galaxy)
v ब्रह्माण्ड में पाए जाने वाले तारों के जमाव (पुंज) को आकाशगंगा कहते हैं।
v आकाशगंगा को यूनानी भाषा में Galaxy कहा जाता है।
v ब्रह्माण्ड में आकाशगंगाओं की तीन आकृतिओं का निर्धारण किया गया है—
(i) elliptical
(ii) spiral
(iii) irregular
v हमारी आकाशगंगा spiral आकृति की है।
v हमारी आकाशगंगा का व्यास एक लाख प्रकाशवर्ष है।
v सूर्य से हमारी आकाशगंगा के केंद्र की दूरी 32 हज़ार प्रकाश वर्ष है।
➨ तारे {Stars}
v तारों का निर्माण आकाश गंगा में गैस के बादलों से होता है। तारों से निरंतर उर्जा का उत्सर्जन होता है।
v तारे ब्रह्माण्ड में पाए जाने वाले चमकदार गैसों के पिंड होते हैं. इनमें अपना प्रकाश पाया जाता है।
v गैलेक्सी का 98 प्रतिशत भाग तारों से निर्मित है। ये गैसीय द्रव्य के उष्ण एवं दीप्तिमान ब्रह्माण्ड में स्थित खगोलीय पिंड हैं।
v तारों में पायी काने वाली गैसों में सर्वाधिक 70 % मात्र हाईड्रोजेन गैस की होती है इसके बाद दूसरी गैस हीलियम की मात्र 26.5 % होती है।
v सूर्य भी तारा है, जो पृथ्वी के निकटतम है।
v वामन वे तारे हैं जिनकी ज्योत्सना सूर्य से कम है।
v विशाल तारों की ज्योत्सना सूर्य से अधिक है, जैसे-बेटेलगीज, सिरियस, अंतारिस।
v नोवा वह तारा है जिसकी चमक गैस के निष्कासित होने से 10-20% तक बढ़ जाती है।
v सुपरनोवा तारा 20 से अधिक चमकने वाला है। पृथ्वी से देखा जाने वाला सबसे अधिक चमकीला तारा क्रेस डांग तारा है।
v पृथ्वी के ध्रुव पर 90 डिग्री का कोण बनाने वाला तारा ध्रुव (Pole Star) तारा होता है।
v ब्लैक होल बन्ने का कारन तारों की उर्जा का समाप्त हो जाना है। प्रत्येक तारा लगातार उर्जा का बड़ी मात्र में उत्सर्जन करता रहता है और निरंतर सिकुड़ता जाता है। जिसके कारण गुरुत्वाकर्षण बढ़ता जाता है। इस उर्जा उत्सर्जन के कारण एक अंत समय आता है जब उर्जा रुक जाती है और तारों का वहन रुक जाता है।
v तारों या गैलेक्सी की गति से उसके प्रकाश में परिवर्तन दिखायी देता है यदि तारा प्रेक्षक की तरफ आ रहा होता है तो, उसका प्रकाश स्पेक्ट्रम नील किनारे की तरफ चलेगा, किन्तु यदि तारा प्रेक्षक से दूर जा रहा हो तो उसका प्रकाश स्पेक्ट्रम के साथ किनारे की तरफ खिसक जायेगा। इसे डॉलर प्रभाव कहते है।
v यदि तारे का भर सूर्य के बराबर होता है तो यह धीरे-धीरे ठंडा होकर पहले गोले मा बदलता है फिर और ठंडा होकर अंत में एक श्वेत छोटे पिंड में बदल जाता है। कुछ समय पश्चात् यह छोटा पिंड अपने ऊपर गिरने वाले प्रकाश को अवशोषित करने लगता है। तब वह आंखों से ना दिखने वाले ब्लैक होल में बदल जाता है।
v तारों का रंग उनकी आयु का सूचक होता है, जो तारा जितना चमकीला होता है उसकी आयु उतनी कम पाई जाती है।
तारा अपने जीवन चक्र में चार अवस्था से गुज़रता है—
1. आदि तारा (Proto Star)
2. लाल भ्रूण तारा (Red Embryo Star)
3. युवा पीला तारा (Youthful Yellow Star)
4. लाल दानव तारा (Red Giant Star)
➨ सूर्य {Sun}
v सूर्य के रासायनिक संगठन में हाइड्रोजन 71%, हीलियम 26.5% तथा अन्य तत्व 2.5% शामिल हैं।
v सूर्य के किरणों की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड हैं।
v सूर्य के किरणों की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड हैं।
v सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 8 मिनट 1.66 सेकेण्ड लगते हैं।
v सौर्यमंडल का केंद्रीय सदस्य सूर्य पृथ्वी का निकटम तारा है।
v सूर्य आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा 22.5 करोड़ वर्ष में पूरी करता है जिसे ब्रह्माण्ड वर्ष (Cosmic Year) कहते हैं।
v सूर्य से पृथ्वी 14.96 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है जिसका प्रकाश पृथ्वी पर 8 मिनट 30 सेकंड में पहुचता है।
➨ सूर्य की संरचना
v सूर्य की संरचना दो प्रकार की पायी जाती है—
I. आतंरिक
II. बाहरी
v सूर्य की आतंरिक संरचना में तीन स्तर पाए जाते हैं—
I. Core
II. Radiative
III. Convective
v सूर्य की बाहरी संरचना में तीन स्टार पाए जाते हैं—
I. Photosphere
II. Chromoshpere
III. Corona
v प्रभावमंडल सूर्य का वाह्यताम भाग है (जो केवल सूर्य ग्रहण के समय ही दिखता है)।
v सूर्य का केंद्रीय भाग Core कहलाता है।
v कोरोना से एक्स किरणें उत्सर्जित होती रहती है और पूर्ण सूर्यग्रहण के समय पृथ्वी इसी कोरोना से प्रभावित होती है।
v जब सूर्य के किसी भाग का ताप अन्य भागों की तुलना में कम हो जाता है टो धब्बे के रूप में दीखता है, जिसे सौर कलंक कहते हैं। इस धब्बे का जीवनकाल कुछ घंटे से लेकर कुछ सप्ताह तक का होता है।कई दिनों तक सौर कलंक बने रहने के पश्चात रेडियो संचार में बाधा आती है।
➨ चंद्रमा {Moon}
v व्यास-पृथ्वी के व्यास का लगभग एक चौथाई (3776 किमी.)।
v गुरुत्वाकर्षण बल- पृथ्वी का 1/6 भाग।
v चंद्रमा के पृथ्वी के चरों ओर घुमने की अवधि 27 दिन, 7 घंटे, 43 मिनट।
v चंद्रमा के प्रकाश की पृथ्वी तक पहुँचने में लगा समय 1.3 सेकेण्ड।
v रासायनिक संघटक – मुख्यतः सिलिकन, लोहा और मैग्नीशियम।
v चंद्रमा पर वायुमंडल का आभाव होने के कारण वहां ध्वनि सुनाई नहीं देती है।
v चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत लिबनिज पर्वत (35,000 फीट) है।
v चन्द्रमा के भौतिक भूगोल का अध्ययन करने वाले विज्ञान को सैलेनोग्राफी कहते हैं।
v चंद्रमा का 54% भाग ही पृथ्वी से देखा जा सकता है।
v चन्द्रमा का वह भाग जो पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता है। सी ऑफ़ ट्रैन्क्विलिटी कहलाता है।
v चंद्रमा पर करीब 30,000 क्रेटर हैं। क्लैवियस (सबसे बड़ा). टायको, कपरनिकस ये क्रेटर उल्कापतीय तथा ज्वालामुखीय हैं।
v चन्द्रमा सूर्य की भांति भूमध्य रेखा के सन्दर्भ में उत्तरायन व दक्षिणायन होता है। चन्द्रमा 290उ. से 280द. के बीच 29.9 दिनों में भ्रमण करता है, जिसे संयुति मास कहते हैं।
v पूरे सौरमंडल में सामान्य उपग्रह से बहुत बड़ा। यह पृथ्वी के आकार का ¼ है। सामान्य उपग्रह अपने मूल ग्रह के आकर का 8वां भाग होते हैं।
v चन्द्रमा की पृथ्वी से अधिकतम दूरी 40336 किमी. व न्यूनतम दूरी 354340.8 किमी. है।
v चंद्रमा की आयु 460 करोड़ वर्ष है।
good.
ReplyDeleteReally very informative and in easy way. Thanks for this valuable information.
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