इसरो की उपलब्धियां 2016, 2017 व 2018 के साथ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) Indian Space Research Organisation (ISRO) भारत का राष्ट्रीय
अंतरिक्ष संस्थान है इसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। 15 अगस्त, 1969 में जब विक्रम साराभाई के नेतृत्व में इसरो ने अपना आगाज किया और पहला
सैटेलाइट आर्यभट्ट बनाया था, जिसे सोवियत यूनियन ने 19 अप्रैल, 1975 को लॉन्च किया था। तब किसी ने सोचा नहीं होगा कि यही इसरो आगे चलकर
दुनिया भर में भारत का झंडा बुलंद करेगा। इसरो संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये
अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में
उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है।
इसरो (ISRO)
की उपलब्धियां
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15 फरवरी, 2017 तक इसरो ने 21 देशों के कुल 179 विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किये हैं।
नोट : इन 179 उपग्रह में सर्वाधिक उपग्रह जिन देशों के हैं, वे निम्न प्रकार हैं– 1. अमेरिका (143 उपग्रह) , 2. कनाडा (11 उपग्रह), 3. जर्मनी (10 उपग्रह), 4. सिंगापुर (8 उपग्रह), 5. ब्रिटेन (6 उपग्रह)।
नोट : इन 179 उपग्रह में सर्वाधिक उपग्रह जिन देशों के हैं, वे निम्न प्रकार हैं– 1. अमेरिका (143 उपग्रह) , 2. कनाडा (11 उपग्रह), 3. जर्मनी (10 उपग्रह), 4. सिंगापुर (8 उपग्रह), 5. ब्रिटेन (6 उपग्रह)।
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15 फरवरी, 2017 को भारत ने PSLV-C37 रॉकेट से एक साथ 104 उपग्रह (3 भारत के, 101 विदेशी) प्रेक्षित कर विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। इससे पहले यह कीर्तिमान रूस (एक साथ 37 उपग्रह प्रेक्षिपित) के नाम था।
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वर्ष 2015 तक लॉच विदेशी सेटेलाइटों से इसरो ने 10 करोड़ डॉलर की कमाई की है।
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अमेरिका की स्पेस एक्स अभी तक अपने Reusable Rocket फॉल्कन–9 का परीक्षण नहीं कर पायी है, जबकि भारत ने वर्ष 2016 में HS9 रॉकेट के दोबारा इस्तेमाल करने योग्य स्पेस शटल RLV-TD का सफल परीक्षण कर लिया है।
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पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रह भेजने के लिए भारत ने अब तक (फरवरी 2017) कुल 39 बार पीएसएलवी का इस्तेमाल किया है, जिसमें वह 38 बार सफल रहा है। इस प्रकार सफल उपग्रह प्रक्षेपण का भारतीय रिकॉर्ड सर्वश्रेष्ठ है।
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इसरो ने चन्द्रमा व मंगल की कक्षा में शोधयान की सफलता के बाद अब शुक्र पर शोधयान उतारने की तैयारी कर रहा है। रूस के बाद ऐसा करने वाला भारत दुनिया का दूसरा देश होगा।
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नासा की
तुलना में इसरो
सैटेलाइट भेजने की
फीस 60 फीसदी कम
लेता है। इस
प्रकार लागत से
लेकर गुणवत्ता कर
हर मामले में
इसरो ही बाजी
मारता है। अर्थात्
जिस मंगल अभियान
को अमरीका की
अंतरिक्ष एजेन्सी
नासा ने 671 अरब
डॉलर में पूरा
किया था वैसा
ही अभियान इसरो
ने महज 73 अरब
डॉलर में पूर
कर लिया था।
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इसरो की किफायती प्रक्षेपित दरें गरीब देशों को अपनी सैटेलाइटें लांच करने का मौका दे सकती हैं। इस प्रकार अंतरिक्ष बाजार में इसरो एक बहुत बड़ा खिलाड़ी बन कर उभरा है।
– पीएसएलवी: वर्ष 1990 में इसरो
ने ध्रुवीय उपग्रह
प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)
को विकसित किया
और वर्ष 1993 में इसी
यान से पहला
उपग्रह ऑर्बिट में
भेजा गया। इससे
पहले यह सुविधा
केवल रूस के
पास थी।
– चंद्रयान: 22 अक्टूबर, 2008 को स्वदेश निर्मित मानव रहित अंतरिक्ष यान 'चंद्रयान' को चांद पर भेजकर इसरो ने इतिहास रचा था। इससे पहले ऐसा सिर्फ़ छह देश ही कर पाए थे।
– मंगलयान: वर्ष 2014 में भारतीय 'मंगलयान' मंगल तक पहुंचने में पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना। यहाँ तक कि अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पहुंचने में सफलता मिली थी।
– जीएसएलवी मार्क 2: इसरो ने जीएसएलवी मार्क 2 का सफल प्रक्षेपण करके अपना झंडा गाड़ा, क्योंकि इसमें भारत ने अपने ही देश में बनाया हुआ क्रायोजेनिक इंजन लगाया था।
– नेविगेशन सिस्टम: नेविगेशन सिस्टम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने 28 अप्रैल, 2016 भारत का सातवां नेविगेशन उपग्रह (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) प्रक्षेपण किया। इससे भारत को अमेरिका के जीपीएस सिस्टम जैसा अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम मिल गया।
– ध्रुवीय रॉकेट: इसरो की कामयाबी में चार चरणीय ध्रुवीय रॉकेट भी एक हिस्सा है। जिसमें उसने एक्स-एल यानी एक्सट्रा लार्ज संस्करण का इस्तेमाल किया। जिसके पहले और तीसरे चरण में ठोस और दूसरे और चौथे चरण में प्रपेलेंट यानी द्रव ईंधन का उपयोग होता है।
– चंद्रयान: 22 अक्टूबर, 2008 को स्वदेश निर्मित मानव रहित अंतरिक्ष यान 'चंद्रयान' को चांद पर भेजकर इसरो ने इतिहास रचा था। इससे पहले ऐसा सिर्फ़ छह देश ही कर पाए थे।
– मंगलयान: वर्ष 2014 में भारतीय 'मंगलयान' मंगल तक पहुंचने में पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना। यहाँ तक कि अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पहुंचने में सफलता मिली थी।
– जीएसएलवी मार्क 2: इसरो ने जीएसएलवी मार्क 2 का सफल प्रक्षेपण करके अपना झंडा गाड़ा, क्योंकि इसमें भारत ने अपने ही देश में बनाया हुआ क्रायोजेनिक इंजन लगाया था।
– नेविगेशन सिस्टम: नेविगेशन सिस्टम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने 28 अप्रैल, 2016 भारत का सातवां नेविगेशन उपग्रह (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) प्रक्षेपण किया। इससे भारत को अमेरिका के जीपीएस सिस्टम जैसा अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम मिल गया।
– ध्रुवीय रॉकेट: इसरो की कामयाबी में चार चरणीय ध्रुवीय रॉकेट भी एक हिस्सा है। जिसमें उसने एक्स-एल यानी एक्सट्रा लार्ज संस्करण का इस्तेमाल किया। जिसके पहले और तीसरे चरण में ठोस और दूसरे और चौथे चरण में प्रपेलेंट यानी द्रव ईंधन का उपयोग होता है।
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