Type Here to Get Search Results !

जानिए इच्छामृत्यु क्या है और कैसे मिलेगी?


जानिए इच्छामृत्यु क्या है और कैसे मिलेगी?
What is Euthanasia? - सर्वोच्च न्यायालय ने 9 मार्च, 2018 को मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत (लिविंग विल) को मंजूरी दे दी। इसे पैसिव यूथेनेशिया भी कहा जाता है। अब वे मरीज, जो कभी ना ठीक हो पाने वाली बीमारी से पीड़ित हैं और घोर पीड़ा में जीवन काट रहे हैं। उन्हें सम्मान के साथ अपना जीवन खत्म करने की अनुमति दे दी गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने इच्छामृत्यु के लिए एक दिशानिर्देश जारी किया है, जो कि कानून बनने तक प्रभावी रहेगा। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त जस्टिस एके सिकरी, ​जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल थे।

इच्छामृत्यु किनके लिए?
इच्छामृत्यु का मतलब किसी गम्भीर और लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए डॉक्टर की सहायता से उसके जीवन का अन्त करना है। इसे ही इच्छामृत्यु कहते हैं। इच्छामृत्यु को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहला सक्रिय इच्छामृत्यु (एक्टिव यूथेनेसिया) और दूसरा निष्क्रिय इच्छामृत्यु (पैसिव यूथेनेसिया)
सक्रिय इच्छामृत्यु में लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के जीवन का अन्त डॉक्टर की सहायता से जानबूझकर ऐसी दवाइयां देना, जिससे मरीज की मौत हो जाए। निष्क्रिय इच्छामृत्यु में लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति लम्बे समय से कोमा में हो। तब परिजनों की सहमति से डॉक्टर उसके जीवनरक्षक उपकरण बन्द कर देते हैं तथा उसके जीवन का अन्त हो जाता है।

अन्य देशों में इच्छामृत्यु कानून 
मरीज
की बीमारी असहनीय हो जाए, तभी वो इच्छामृत्यु के लिए आवेदन कर सकता है। जिन देशों में इच्छामृत्यु कानूनी है, उनमें से ज्यादातर में इस नियम का पालन किया जाता है।
नीदरलैण्ड्स में देखा जाता है कि मरीज की बीमारी असहनीय है कि नहीं और उसमें सुधार की कितनी सम्भावना है।
बेल्जियम का कानून भी इससे मिलता-जुलता है। मरीज की बीमारी असहनीय होनी चाहिए और उसे लगातार बीमारी की वजह से पीड़ा हो रही हो, तभी इच्छामृत्यु का आवेदन स्वीकार किया जाएगा।
अमेरिका और कनाडा में मरीज को इच्छामृत्यु के लिए मदद तभी मुहैया कराई जाती है, जब बीमारी असहनीय हो, इलाज केजरिए उसको ठीक कर पाना असम्भव हो और उसे लगातार पीड़ा हो रही हो। 

क्या अन्तर है निष्क्रिय और सक्रिय इच्छामृत्यु में?
किसी लाइलाज और पीड़ादायक बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को निष्क्रिय रूप से इच्छामृत्यु दी जाएगी। इसका मतलब यह है कि पीड़ित व्यक्ति के जीवनरक्षक उपायों (दवाई, डायलिसिस और वेण्टिलेशन) को बन्द कर दिया जाएगा अथवा रोक दिया जाएगा। पीड़ित स्वयं मृत्यु को प्राप्त होगा। सक्रिय इच्छामृत्यु का अर्थ होता है इंजेक्शन या किसी अन्य माध्यम से पीड़ित को मृत्यु देना। सर्वोच्च न्यायालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु (passive euthanasia) की अनुमति दी है, सक्रिय इच्छामृत्यु की नहीं।

पांच तरीके इच्छामृत्यु के
वॉलण्टरी एक्टिव यूथेनेसिया मरीज की मंजूरी के बाद जानबूझकर ऐसी दवा देना, जिससे उसकी मौत हो जाए। यह केवल नीदरलैण्ड और बेल्जियम में वैध है।
इनवॉलण्टरी एक्टिव यूथेनेसिया मरीज खुद अपनी मौत की मंजूरी देने में असमर्थ हो, तब उसे मरने के लिए दवा देना। यह दुनिया में गैरकानूनी है।
पैसिव यूथेनेसिया मरीज की मृत्यु के लिए उसका इलाज बन्द करना। भारत में सर्वोच्च न्यायालय ने इसी का अधिकार दिया है।
ऐक्टिव यूथेनेसिया मरीज को ऐसी दवा देना, ताकि मरीज को राहत मिले, पर बाद में मौत हो जाए। यह कुछ देशों में वैध है।
असिस्टेड सुसाइड सहमति के आधार पर डॉक्टर मरीज को ऐसी दवा देते हैं, जिसे खाकर आत्महत्या की जा सकती है। 

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad