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क्या है आईपीएसी की धारा 377? जानिए किस बात पर है विवाद - Section 377 in India


क्या है आईपीएसी की धारा 377? जानिए किस बात पर है विवाद
समलैंगिक संबंध अपराध है या नहीं इस पर फैसला करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, समलैंगिकता अब अपराध नहीं है। CJI दीपक मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, समलैंगिकों को सम्मान के साथ जीने का पूरा अधिकार है।

समलैंगिक संबंध अपराध है या नहीं इस पर फैसला करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, समलैंगिकता अब अपराध नहीं है। CJI दीपक मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, समलैंगिकों को सम्मान के साथ जीने का पूरा अधिकार है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट होमोसेक्सुअल्टी को अपने एक फैसले में क्रिमिनल एक्ट करार दे चुका था,और इसी फैसले के खिलाफ क्यूरिटिव पिटिशन दाखिल की गई थी। यह मामला बेहद चर्चित रहा है और विवाद का विषय भी रहा है,आइए जानते है क्या है धारा 377 और इससे जुड़ी अन्य खास बातें:

क्या है आईपीसी की धारा 377
आईपीसी की धारा 377 के तहत 2 लोग आपसी सहमति या असहमति से से अननैचुरल संबंध बनाते है और दोषी करार दिए जाते हैं तो उनको 10 साल की सजा से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है। यह अपराध संजेय अपराध की श्रेणी में आता है और गैरजमानती है।

किसने दी थी धारा 377 को चुनौती
सेक्स वर्करों के लिए काम करने वाली संस्था नाज फाउंडेशन ने हाईकोर्ट में यह कहते हुए इसकी संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया था कि अगर दो एडल्ट आपसी सहमति से एकांत में सेक्सुअल संबंध बनाते है तो उसे धारा 377 के प्रावधान से बाहर किया जाना चाहिए।

2 जुलाई 2009 को हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
2 जुलाई 2009 को नाज फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दो व्यस्क आपसी सहमति से एकातं में समलैंगिक संबंध बनाते है तो वह आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा कोर्ट ने सभी नागरिकों के समानता के अधिकारों की बात की थी।

चार साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया, और समलैंगिगता को अपराध माना
सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2013 को  होमो सेक्सुअल्टी के मामले में दिए गए अपने ऐतिहासिक जजमेंट में समलैंगिगता मामले में उम्रकैद की सजा के प्रावधान के कानून को बहाल रखने का फैसला किया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें दो बालिगो के आपसी सहमति से समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर माना गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा जबतक धारा 377 रहेगी तब तक समलैंगिक संबंध को वैध नहीं ठहराया जा सकता।


Tag- Section 377 in India, Homosexuality in India, Gay Marriage Legal in India, IPC 377.

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