बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
— अधिगम/सीखना
Child Development and Pedagogy — Learning
Hello
Friends, कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी ☺
दोस्तो
आप में से कुछ साथियों ने मुझसे CTET और State TET
के लिए Child Development and Pedagogy (बाल
विकास एवं शिक्षाशास्त्र) के नोट्स की मांग की थी! तो
उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट GK-MARKETs
पर Child Development and Pedagogy के One Liner
Question and Answer के Notes उपलब्ध
कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे
CTET , UPTET , MPTET, Bihar TET, MP Samvida Teacher , HTET ,
REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child
Development and Pedagogy से सवाल पुछे जाते हैं उन सभी परीक्षाओं
के लिए यह बहुत हीं महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा।
दोस्तो आज
हम Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं
शिक्षाशास्त्र) की हमारी इस पोस्ट अन्तर्गत हम आपको अधिगम/सीखना
(Learning) से संबंधित Most
Important Question and Answer को बताऐंगे ! साथ ही नीचे दिए गए
Download Button के माध्यम से आप
इसका FREE PDF भी डाउऩलोड कर सकते हैं।
·
बालक सामाजिक व्यवहार को तीव्र गति से सीखता है – सामाजिक विकास
की अवस्था
में
·
सामूहिक व्यवहार को बालक प्रथम रूप में सीखता है – शैशवावस्था के
अन्त में
·
गिरोह बनाने की प्रवृत्ति बालक सीखता है – बाल्यावस्था में
·
सामाजिक भावना से सम्बन्धित कार्यों को बालक सीखने लगता है – बाल्यावस्था में
·
आत्म प्रेम अर्थात् स्वयं को आकर्षक बनाने की गतिविधियों को बालक सीखता है – किशोरावस्था में
·
किशोरावस्था में बालकों द्वारा समायोजन की प्रक्रिया को सीखने में अस्थिरता का समावेश होने का कारण है – संवेगों की
तीव्रता
·
सामाजिक कार्यों में उत्साह एवं तीव्रता का प्रदर्शन एवं उन्हें सीखने की प्रक्रिया किस अवस्था में तीव्र गति से सम्भव होती है – किशोरावस्था
·
सामाजिक विकास एवं कार्यों के सीखने में प्रभाव होता है – वंशानुक्रम का
·
बालक को सामाजिक गुणों को सीखने में सहायता करता है – खेल व
पाठ्यक्रम सहगामी
क्रियाएं
·
सामाजिक कार्यों को सीखने के लिए आवश्यक है – उत्तम स्वास्थ्य,
मानसिक स्वास्थ्य,
संवेगात्मक स्थिरता
·
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, कौन-से विकास साथ-साथ चलते हैं – सामाजिक विकास एवं संवेगात्मक विकास
·
हरलॉक के अनुसार, बालक सर्वाधिक सामाजिक कार्यों को सीखता है – समूह में
·
सामाजिक विकास को प्रभावित करता है – संवेगात्मक व
मानसिक विकास
तथा वंशानुक्रम
·
तथ्यात्मक ज्ञान को सीखने में सर्वप्रथम आवश्यकता होती है – भाषायी विकास
की
·
भाषायी क्रियाओं को बालक सर्वप्रथम सीखता है – परिवार से
·
भाषायी ज्ञान को परिष्कृत करने का साधन है – विद्यालय
·
शैशवावस्था में भाषायी तथ्यों के सीखने में सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है – परिवार की
संस्कृति एवं
सभ्यता का
·
सामान्य भाषायी अधिगम की स्थिति में बालक लगभग 200 से 225 तक शब्ध किस आयु वर्ग में सीखता है – 2 वर्ष में
·
भाषायी तथ्यों को कौन अधिक तीव्र गति से सीखता है – बालक व
बालिका
·
निम्नलिखित में कौन सी संस्था भाषायी तथ्यों को सीखने में बालक की सहायता करती है – समुदाय एवं
घर, विद्यालय
एवं परिवार,
सामाजिक एवं
आर्थिक स्थिति
·
स्मिथ के अनुसार, जन्म के बाद के प्रथम दो वर्षों में लम्बी अवधि तक रोगग्रस्त होने के कारण भाषायी विकास की क्रिया हो जाती है – मन्द एवं
सामान्य
·
भाषायी अधिगम को प्रभावित करने वाला कारक है – स्वास्थ्य एवं
बुद्धि
·
भाषायी अधिगम सर्वाधिक प्रभावित होता है – हकलाने से
एवं तुतलाने
से
·
भाषायी अधिगम प्रभावित होता है – सामाजिक स्थिति
से
·
सृजनात्मक विकासमें निहित होती है – बाल कल्पना
·
बालक द्वारा मिट्टी के घर एवं खिलौनों का निर्माण करना सूचक है – सृजनात्मक विकास
का
·
बालक में आयु की वृद्धि के साथ-साथ कल्पना का स्वरूप होता है – मन्द
·
गणित में सृजनात्मकता के माध्यम से शिक्षण में बालकों को प्रदान किया जा सकता है – गणितीय आकृतियों
का निर्माण
·
एक बालक एक मूर्ति को देखकर उसे बनाने का प्रयास करने लगता है, उसके इस मूल में समाहित है – सृजनात्मकता
·
बालक द्वारा राजा, चोर एवं सिपाही की भूमिका का निर्वहन करना एवं उनकी गतिविधियों को सीखना निर्भर करता है – सृजनात्मकता के
विकास पर
·
बालकों को कविताओं के माध्यम से शिक्षण करना प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि कविताओं में निहित होती है – सौन्दर्य
·
सौन्दर्यात्मक विकास एवं मूल्य अधिगम से सम्बन्धित है – प्रत्यक्ष रूप
से एवं
अप्रत्यक्ष रूप
से
·
संगीत एवं लोकगीत का अधिगम बालक शीघ्रता से करते हैं, क्योंकि इसमें निहित है – सौन्दर्य एवं
भाव पक्ष
·
प्राकृतिक संसाधनों का अधिगम में प्रयोग करने के लिए छात्रों में किस विकास की आवश्यकता होती है – सृजनात्मकता विकास
की
·
सीखने के नियमों के प्रतिपादक है – थार्नडाइक
·
सीखने के नियम आधारित है – प्रयास और
त्रुटि विधि
पर
·
प्रयास एवं त्रुटि द्वारा सीखना ही – उद्दीपक प्रतिक्रिया
का सिद्धान्त
है।
·
”व्यवहार के कारण व्यवहार में कोई भी परिवर्तन अधिगम है” ऐसा कहा गया है – गिलफोर्ड द्वारा
·
पावलॉव था – एक
रूसी मनोवैज्ञानिक
·
अधिगम के विभिन्न विद्धान्त व्याख्या करते हैं – अधिगम के
उत्पन्न एवं
व्यक्त होने
की प्रक्रिया
की
·
पावलॉव ने सम्बन्ध प्रत्यावर्तन सिद्धान्त का प्रयोग सर्वप्रथम किस पर किया – कुत्ते पर
·
अन्तदृष्टि या सूझ का सिद्धान्त के जनक है – कोहलर
·
अनुकरण सिद्धान्त के द्वारा बालक में क्या विकसित किया जा सकता है – सद्विचार, सद्व्यवहार
का
·
जिस सिद्धान्त के अनुसार, प्राणी किसी परिस्थिति को देख करके तथा अनुभव करके उसकी पूर्ण आकृति बनाते हैं, वह है – गेस्टाल्ट का
सिद्धान्त
·
बालक को सीखने के समय ही, जिस क्रिया को सीखना होता है, टेपरिकॉर्डर पर रिकॉर्ड करके उसका सम्बन्ध मस्तिष्क से कर दिया जाता है। यह कथन है – सुप्त अधिगम
·
निम्न में से अधिगम की विधियां है – अवलोकन विधि,
करके सीखना,
सुप्त अधिगम
व सामूहिक
विधि
·
शिक्षण और अधिगम – एक सिक्के
के दो
पहलू हैं,
शिक्षण से
अधिगम तथा
अधिगम से
शिक्षण की
प्राप्ति होती
है। दोनों
गत्यात्मक प्रक्रियांएं
हैं।
·
सीखने के सूझ के सिद्धान्त की शैक्षिक उपयोगिता निम्न में से नहीं है – यह सिद्धान्त
समय पर
सीखने पर
अधिक बल
नहीं देता।
·
सीखने का सूझ के सिद्धान्त में किस जानवर पर प्रयोग किया गया – चिम्पैंजी पर
·
अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक है – भूख एवं
परिपक्वता, प्रशंसा
एवं निन्दा,
शिक्षण पद्धति
एवं अभ्यास
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