बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
:
व्यक्तिगत विभिन्नताऐं एवं विशिष्ट बालक
Individual Differences and Special Child
Hello
Friends, कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी ☺
दोस्तो
आप में से कुछ साथियों ने मुझसे CTET और State TET
के लिए Child Development and Pedagogy (बाल
विकास एवं शिक्षाशास्त्र) के नोट्स की मांग की थी! तो
उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट GK-MARKETs
पर Child Development and Pedagogy के One Liner
Question and Answer के Notes उपलब्ध
कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे
CTET , UPTET , MPTET, Bihar TET, MP Samvida Teacher , HTET ,
REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child
Development and Pedagogy से सवाल पुछे जाते हैं उन सभी परीक्षाओं
के लिए यह बहुत हीं महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा।
दोस्तो आज
हम Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं
शिक्षाशास्त्र) की हमारी इस पोस्ट अन्तर्गत हम आपको व्यक्तिगत
विभिन्नताऐं एवं विशिष्ट बालक (Individual Differences and Special Child)
से संबंधित Most Important Question and Answer
को बताऐंगे ! साथ ही नीचे दिए गए Download Button के माध्यम से आप
इसका FREE PDF भी डाउऩलोड कर सकते हैं।
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रेटिंग एंगल एवं प्रश्नावली किस प्रविधि से सम्बन्धित है – मूल्यांकन विधि
से
·
व्यक्ति अध्ययन विधि में प्रमुख भूमिका होती है – सूचना की
·
”व्यक्ति अध्ययन विधि का मुख्य उद्देश्य किसी कारण का निदान है।” यह कथन है – क्रो एण्ड
क्रो
·
व्यक्ति अध्ययन विधि में किस प्रकार की सूचनाओं की आवश्यकता होती है – पारिवारिक, सामाजिक,
सामान्य एवं
शारीरिक
·
प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षण विधि है – गतिवर्द्धन, सम्पन्नीकरण,
विशिष्ट कक्षाएं
·
”सृजनात्मक से आशय पूर्ण अथवा आंशिक रूप से तीन वस्तु के उत्पादन से है।” उक्त कथन है – रूसो का
·
निम्न में से पलायनशीलता के कारण हैं – कल्पना की
अधिकता, कुसमायोजन,
दोषपूर्ण शिक्षण
पद्धति
·
”बालकों में सृजनाशीलता के विकास हेतु सकारात्मक अभिवृत्ति के निर्माण में विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका है।” उक्त कथन है – डॉ. एस.
एस. चौहान
का
·
विद्यालयों में तीव्र एवं मन्द-बुद्धि बालकों के लिए निम्न में से शैक्षणिक व्यवस्था होनी चाहिए – अवसर की
समानता, पाठ्यक्रम
में समृद्धि,
अहमन्यता को
रोकना
·
विशिष्ट बालक में प्रमुख विशेषता है – साधारण बालकों
से भिन्न
गुण एवं
व्यवहार वाला
बालक
·
प्रतिभाशाली बालक की विशेषता है – तर्क, स्मृति,
कल्पना, आदि
मानसिक तत्वों
का विकास।
उदार एवं
हॅसमुख प्रवृत्ति
के होते
है, दूसरों
का सम्मान
करते हैं,
चिढ़ाते नहीं
हैं
·
विशिष्ट बालकों की श्रेणी में आते हैं केवल – प्रतिभाशाली बालक,
पिछड़े बालक,
समस्यात्मक बालक
·
शारीरिक रूप से अक्षम बालकों को किस श्रेणी में रखते हैं – विकलांग
·
”प्रतिभाशाली बालक शारीरिक गठन, सामाजिक समायोजन, व्यक्तित्व के गुणों, विद्यालय उपलब्धि, खेल की सूचनाओं और रुचियों की विविधता में औसत बालकों से श्रेष्ठ होते हैं।” यह कथन है – टरमन एवं
ओडम का
·
निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य सांख्यिाकीय विधि से सम्बन्धित है – संकलन, वर्गीकरण,
विश्लेषण
·
टरमन के अनुसार प्रतिभाशाली बालक की बुद्धि-लब्धि कितने से अधिक होती है – 140
·
”जो बालक कक्षा में विशेष योग्यता रखते हैं उनको प्रतिभाशाली कहते हैं।” यह कथन है – क्रो एवं
क्रो का
·
चोरी, झूठ व क्रोध करने वाला बालक है – समस्यात्मक
·
”जिस बालक की शैक्षिक लब्धि85 से कम होतीहै उसे पिछड़ा बालक कहा जा सकता है।” यह कथन है – बर्ट का
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”जिस बालक की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है उसको मन्द-बुद्धि बालक कहते हैं।” यह कथन है – क्रो एवं
क्रो का
·
”एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या उसे सीमित रखता है, उसको हम विकलांग कह सकते हैं।” यह कथन है – क्रो एवं
क्रो का
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”प्रतिभाशाली बालक 80 प्रतिशत धैर्य नहीं खोते, 96 प्रतिशत अनुशासित होते हैं तथा 58 प्रतिशत मित्र बनाने की इच्छा रखते हैं।” यह कथन है – विटी का
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‘Survey of the Education of Gifted Children’ नामक पुस्तक लिखी है – हैविंगहर्स्ट ने
·
‘The Causes and Treatment of Backwardness’ नामक पुस्तक लिखी है – बर्ट ने
·
प्रतिभाशाली बच्चों की पहचान की जा सकती है – विधिवत अवलोकन
द्वारा, प्रमापीकृत
परीक्षणों द्वारा
·
समस्यात्मक बालकों की शिक्षा के समय निम्न बातें ध्यान में रखनी चाहिए – बालकों को
मनोरंजन के
उचित अवसर
दिये जाएं।
शिक्षकों का
मधुर व
सहायोगात्मक व्यवहार
·
‘Introduction of Psychology’ नामक पुस्तक लिखी है – हिलगार्ड व
अटकिंसन ने
·
प्रतिभाशाली बालकों को कहा जाता है – श्रेष्ठ बालक,
तीव्र सीखने
वाले, निपुण
बालक
·
जिस सहानुभूति में क्रियाशीलता होती है, वह है – निष्क्रिय
·
बालक को सामाजिक व्यवहार की शिक्षा दी जा सकती है – शारीरिक गतियों
से
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दूसरे व्यक्तियों में संवेग देखकर हम उसका करने लगते है – घृणा
·
निष्क्रिय सहानुभूति होती है – मौखिक व
कृत्रिम
·
प्रतिभावान बालकों की पहचान करने के लिए हमें सबसे अधिक महत्व – वस्तुनिष्ठ परीक्षणों
को देना
चाहिए।
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”निर्देशन वह सहायता है जो एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को विकल्प चुनने एवं समायोजन प्राप्त करने तथा समस्या हल करने के लिए दी जाती है।” उक्त कथन है – जोन्स का
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”कक्षा में जो सम्बन्धों के प्रतिमान अथवा समूह परिस्थिति होती है वह सीखने पर प्रभाव डालती है।” उक्त कथन है – बोवार्ड का
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”कक्षा-शिक्षण में जो सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव हैं; वह दूसरों के साथ अन्त:क्रिया करना है।” उक्त कथन है – रिट का
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निम्न में से निर्देशन दिया जा सकता है – अध्यापक को,
डॉक्टरों को
छात्रों को
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जो निर्देशन एक व्यक्ति को उसकी व्यावसायिक तथा जीविका में उननति सम्बन्धी समस्याओं को हल करने के लिए उसकी व्यक्तिगत विशेषताओं को उसके जीविका सम्बन्धी अवसरों के सम्बन्ध में ध्यान रखते हुए दिया जाता है, वह कहलाता है – व्यावसायिक निर्देशन
·
”प्रभावशाली बालक वे होते हैं जिनका नाड़ी संस्थान श्रेष्ठ होता है।” उक्त कथन है – सिम्पसन का,
तयूकिंग का
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”ऐसे व्यक्ति जिनमें ऐसा शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे साधारण क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या उसे सीमित रखता है, ऐसे व्यक्ति को हम विकलांग व्यक्ति कह सकते हैं।” उक्त कथन है – क्रो एवं
क्रो का
·
सृजनात्मक बालक की प्रकृति होती है – सृजनात्मक बालक
सदैव सफलता
की ओर
उन्मुख रहते
हैं।
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मन्दगति से सीखने वाले बालकों की शिक्षा के लिए क्या कदम उठाना चाहिए – आवासीय विद्यालय,
विशेष विद्यालय,
विशेष कक्षा
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”विशिष्ट बालक वह है जो मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विशेषताओं से युक्त होते हैं”, उक्त कथन है – क्रिक का
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बालापराध का कारण दूषित वातावरण भी होता है। दूषित वातावरण से आशय है – वेश्यालय, शराबखाना,
जुआघर
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गम्भीर मन्दितमना वाले बालकों की शिक्षा-लब्धि होती है – 19 से कम
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निम्न में से पिछड़े बालक की समस्या है – स्कूल सम्बन्धी
समस्याएं, संवेगात्मक
समस्याएं, सामाजिक
समस्याएं
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साधारण मन्दिमना वाले बालकों की शिक्ष-लब्धि होती है – 51-36
·
पिछड़े बालकों को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी करने के लिए क्या करना चाहिए – पिछड़ेपन के
कारणों की
खोज करना,
व्यक्तिगत ध्यान,
पाठान्तर क्रियाओं
की व्यवस्था
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”बालकों में सृजनशीलता के विकास हेतु सकारात्मक अभिवृत्ति के निर्माण में विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।” उक्त कथन है – डॉ. एस.एस. चौहान
का
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”सृजनात्मक वह कार्य है जिसका परिणाम नवीन हो और जो किसी समय किसी सकूह द्वारा उपयोगी या सन्तोषजनक रूप में मान्य हों।” यह परिभाषा किसने प्रतिपादित की – स्टेन ने
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”मानसिक स्वास्थ्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व का सामंजस्यपूर्ण कृत्य है।” यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है – हैडफील्ड का
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मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की बुद्धि-लब्धि मानी गई है – 70 से 80 के
बीच
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शारीरिक अस्वस्थता, काम प्रवृत्ति का प्रवाह तथा मन्द गति से विकास बालापराध के किस कारण के अन्तर्गत आते हैं – व्यक्तिगत कारण
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बाल्यावस्था में बालक दृष्टिकोण अपनाना आरम्भ करता है – यथार्थवादी दृष्टिकोण
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