बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
:
व्यक्तिगत विभिन्नताऐं एवं विशिष्ट बालक
Individual Differences and Special Child
Hello
Friends, कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी ☺
दोस्तो
आप में से कुछ साथियों ने मुझसे CTET और State TET
के लिए Child Development and Pedagogy (बाल
विकास एवं शिक्षाशास्त्र) के नोट्स की मांग की थी! तो
उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट GK-MARKETs
पर Child Development and Pedagogy के One Liner
Question and Answer के Notes उपलब्ध
कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे
CTET , UPTET , MPTET, Bihar TET, MP Samvida Teacher , HTET ,
REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child
Development and Pedagogy से सवाल पुछे जाते हैं उन सभी परीक्षाओं
के लिए यह बहुत हीं महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा।
दोस्तो आज
हम Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं
शिक्षाशास्त्र) की हमारी इस पोस्ट अन्तर्गत हम आपको व्यक्तिगत
विभिन्नताऐं एवं विशिष्ट बालक (Individual Differences and Special Child)
से संबंधित Most Important Question and Answer
को बताऐंगे ! साथ ही नीचे दिए गए Download Button के माध्यम से आप
इसका FREE PDF भी डाउऩलोड कर सकते हैं।
·
जिस बालक में ज्ञान के प्रति रुचि होगी उसका चिन्तन स्तर होगा – सर्वोत्तम
·
चिन्तन के विकास हेतु बालक को किस विधि से शिक्षण करना चाहिए – समस्या समाधान
विधि
·
बालक के समक्ष समस्या प्रस्तुत करने से बालक में विकास होगा – चिन्तन का
·
जो छात्र तार्किक दृष्टि से कमजोर होते हैं अर्थात् तर्क का स्तर सामान्य से कम होता है उनका चिन्तन होता है – सामान्य से
कम
·
निम्नलिखित में किस तथ्य का चिन्तन में महत्वपूर्ण योगदान होता है – रुचि, तर्क,
बुद्धि
·
गैरेट के अनुसार तर्क का सम्बन्ध होता है – क्रमानुसार चिन्तन
से
·
बुडवर्थ के अनुसार तर्क है – तथ्य एवं
सिद्धान्तों का
मिश्रण
·
स्किनर के अनुसार तर्क का आशय है – कारण एवं
प्रभावों के
सम्बन्धों की
मानसिक स्वीकृति
से
·
तर्क द्वारा प्राप्त किया जा सकता है – निश्चित लक्ष्य
·
तर्क में किसी घटना के बारे में खोजा जाता है – घटना का
कारण
·
तर्क में प्रमुख भूमिका होती है – पूर्व ज्ञान
की, पूर्व
अनुभव की,
पूर्व अनुभूतियों
की
·
तर्क में प्रमुख प्रकार माने जाते हैं – दो
·
आगमन तर्क में सर्वप्रथम प्रस्तुत किया जाता है – उदाहरण
·
गाय नाशवान है, पक्षी नाशवान है, मनुष्य नाशवान है, अत: यह तर्क दिया जा सकता है कि सभी नाशवान हैं। यह तर्क सम्बन्धित है – आगमन तर्क
से, निगमन
तर्क से
·
निगमन तर्क में पहले प्रस्तुत किया जाता है – नियम
·
सभी नाशवान हैं इसलिए तर्क दिया जा सकता है कि सभी नाशवान हैं। इस तर्क वाक्य का सम्बन्ध है – निगमन तर्क
से
·
शिक्षक को तर्क शक्ति के लिए छात्रों में विकसित करना चाहिए – आत्मविश्वास, क्रियाशीलता,
उत्साह
·
एक शिक्षक द्वारा बालक के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है इससे बालक में विकसित होगी – तर्कशक्ति
·
शिक्षक द्वारा बालक के प्रश्नों का उत्तर न देने से कुप्रभावित होगा – तार्किक विकास,
शैक्षिक विकास,
मानसिक विकास
·
उपलब्धि परीक्षण का द्वितीय नाम है – निष्पत्ति परीक्षण
·
उपलब्धि परीक्षण को एक अभिकल्प के रूप में किस विद्वान ने स्वीकार किया है – फ्रीमैन
·
गैरिसन के अनुसार उपलब्धि परीक्षण मापन करता है – वर्तमान योग्यता,
विशिष्ट योग्यता
·
उपलब्धि परीक्षण का शिक्षा विशेष के बाद प्राप्ति का मूल्यांकन किस विद्वान ने माना है – थार्नडाइक ने
तथा हैगन
ने
·
निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य बालक के उपलब्धि परीक्षण से सम्बन्धित है – ज्ञान की
सीमा का
मूल्यांकन, बालकों
की योग्यता
का मापन,
बालक के
शैक्षिक विकास
का मूल्यांकन
·
उपलब्धि परीक्षणों के प्रमुख प्रकार हैं – दो
·
प्रमाणित परीक्षणों में समावेश होता है – वैधता, विश्वसनीयता,
विश्लेषण
·
प्रमाणित परीक्षणों को निर्माण किया जाता है – विशेषज्ञ द्वारा
·
प्रमाणित परीक्षणों की एनॉस्टासी के अनुसार प्रमुख विशेषता है – प्रशासन में
एकरूपता एवं
गणना में
एकरूपता
·
थार्नडाइक एवं हैग के अनुसार प्रमापीकृत परीक्षणों की विशेषता है – समान निर्देश,
समान समयसीमा,
समान प्रश्न
·
निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य शिक्षक निर्मित परीक्षण प्रकारों से सम्बन्धित है – आत्मनिष्ठता तथा
वस्तुनिष्ठता
·
निबंधात्मक एवं मौखिक परीक्षणों को सम्मिलित किया जाता है – आत्मनिष्ठ परीक्षणों
द्वारा तथा
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों
द्वारा
·
चिन्तन एवं तर्क के विकास हेतु उपयोगी परीक्षण है – निबंधात्मक
·
निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य निबंधात्मक परीक्षण के गुणों से सम्बन्धित है – प्रशासन में
सरलता, प्रगति
का मूल्यांकन,
विचार अभिव्यक्ति
में स्वतन्त्रता
·
मूल्यांकन करने वाला किस परीक्षण में अपनी विचारधारा से प्रभावित हो जाता है – निबन्धात्मक परीक्षण
में
·
व्यक्तिनिष्ठता का दोष किस परीक्षण में पाया जाता है – निबन्धात्मक परीक्षण
मे
·
निम्नलिखित तथ्यों में कौन-सा तथ्य निबन्धात्मक परीक्षण के दोषों से सम्बन्धित है – सीमित प्रतिनिधित्व,
प्रामाणिकता का
अभाव, विश्वसनीयता
का अभाव
·
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के निर्माण में किन विद्वानों का श्रेय माना जाता है – होरास मैन
तथा जे.
ए. राइस
का
·
वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के मूल्यांकन में निहित होती है – वस्तुनिष्ठता
·
निम्नलिखित में कौन से प्रश्न वस्तुनिष्ठ प्रश्नों से सम्बन्धित है – बहुविकल्पीय प्रश्न,
सत्य/असत्य
प्रश्न, रिक्त
स्थान पूर्ति
·
सरल प्रत्यास्मरण पद सम्बन्धी प्रश्न सम्मिलित किये जाते हैं – वस्तुनिष्ठ परीक्षण
में
·
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के गुणों के रूप में स्वीकार किया जाता है – वैधता को,
विश्वसनीयता को,
वस्तुनिष्ठता को
·
एक वैध परीक्षण अगुणों का मापन करता है जिसके लिए उसका निर्माण किया है। यह कथन है – कॉलेसनिक का
·
किस परीक्षण के माध्यम से विषय वस्तु का व्यापक प्रतिनिधित्व होता है – वस्तुनिष्ठ परीक्षण
में तथा
निबन्धात्मक परीक्षण
में
·
शैक्षिक परीक्षणों को प्रयोग प्रमुख रूप से किया जा सकता है – निर्देशन में
एवं शैक्षिक
परामर्श में
·
समावेशित शिक्षा का सम्बन्ध है – विशेष शिक्षा
से
·
समावेशित शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य किस स्तर के बालकों को शिक्षा की मुख्य धारा से सम्बद्ध करना है – मंद बुद्धि
बालकों को,
विकलांग बालकों
को, वंचित
बालकों को
·
समावेशी शिक्षा में प्रमुख योगदान किस योजना का है – सर्वशिक्षा अभियान
का
·
समावेशी शिक्षा में किस प्रकार के बालकों की शैक्षिक आवश्यकता की पूर्ति की जाती है – विशिष्ट बालकों
की
·
वर्तमान समय में सभी बालकों को शिक्षा की मुख्य धारा से सम्बद्ध करने का श्रेय जाता है – समावेशी शिक्षा
को
·
समावेशी शिक्षा में बालकों व व्यक्ति भिन्नता जाननेके लिए प्रयोग किया जाता है – बुद्धि परीक्षणों
का
·
समावेशी शिक्षा के अनुसार विशिष्ट बालकों की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है – प्रथम समूह
बनाकर शिक्षण
·
समावेशी शिक्षा बालकों को किस प्रकार का शिक्षण प्रदान करती है – बहुस्तरीय शिक्षण,
प्रत्यक्ष शिक्षण
विधियोंका प्रयोग
युक्त शिक्षण
·
समावेशी शिक्षा आधारित है – वैज्ञानिक दृष्टिकोण
पर
·
यदि कोई बालक धीमी गति से सीखता है तो उसके लिए आवश्यक होगी – समावेशी शिक्षा
·
समाज विरोधी प्रवृत्ति निराशावादी बालक के लिए समावेशी शिक्षा के अन्तर्गत प्रमुख रूप से विकसित करनी चाहिए – संवेगात्मक स्थिरता,
सामाजिक गुणों
का विकास
·
बालकों के व्यवहार अध्ययन की शिक्षा मनोविज्ञान में विधियों को कितने भागों में विभाजित किया गया है – पांच भागों मेंन्तर्दर्शन विधि का स्रोत माना जाता है – दर्शनशास्त्र
·
आधुनिककाल में अन्तर्दर्शन के अप्रासंगिक होने के मूल में कारण है – वैज्ञानिकता का
अभाव
·
अन्तर्दर्शन विधि पूर्णत: स्वीकार की जाती है – आत्मनिष्ठ विधि
के रूप
में
·
आत्मर्दर्शन विधि में प्रयोगकर्ता एवं विषय होते है – एक
·
अन्तर्दर्शन निरीक्षण करने की प्रक्रिया है – स्वयं के
मन की
·
अन्तर्दर्शन विधि में बल दिया जाता है – स्वयं के
मन के
अध्ययन पर
·
बहिर्दर्शन विधि का सम्बन्ध होता है – बालक के
व्यवहार से,
प्रौढ़ के
व्यवहार से,
बृद्ध के
व्यवहार से
·
बहिर्दर्शन विधि में प्रयोग किया जाता है – निरीक्षण का
एवं परीक्षण
का
·
निरीक्षण आंख के द्वारा सम्पन्न की जाने वाली प्रक्रिया है यह कथन है – स्किनर का
·
बहिर्दर्शन विधि में व्यवहार का अध्ययन किया जाता है – प्रत्यक्ष रूप
से
·
बहिर्दर्शन विधि में निहित है – वैज्ञानिकता
·
निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य बहिर्दर्शन विधि के दोषों से सम्बन्धित है – निरीक्षणकर्ता
का दृष्टिकोण,
शंका उत्पन्न
होना, अविश्वसनीयता
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