बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
- बाल विकाश का परिचय
Introduction to Child Development
Hello
Friends, कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी ☺
दोस्तो
आप में से कुछ साथियों ने मुझसे CTET और State TET
के लिए Child Development and Pedagogy (बाल
विकास एवं शिक्षाशास्त्र) के नोट्स की मांग की थी! तो
उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट GK-MARKETs
पर Child Development and Pedagogy के One Liner
Question and Answer के Notes उपलब्ध
कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे
CTET , UPTET , MPTET, Bihar TET, MP Samvida Teacher , HTET ,
REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child
Development and Pedagogy से सवाल पुछे जाते हैं उन सभी परीक्षाओं
के लिए यह बहुत हीं महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा।
दोस्तो आज
हम Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं
शिक्षाशास्त्र) की हमारी इस पोस्ट अन्तर्गत हम आपको बाल
विकाश का परिचय (Introduction
to Child Development) से संबंधित Most
Important Question and Answer को बताऐंगे ! साथ ही नीचे दिए गए
Download Button के माध्यम से आप
इसका FREE PDF भी डाउऩलोड कर सकते हैं।
·
शिक्षण अधिगम सामग्री में प्रोजेक्टर, दूरदर्शन एवं वीडियो टेप का प्रयोग करना प्रमुख रूप से सम्बन्धित है – प्रगतिशील शिक्षा
का
·
बाल केन्द्रित शिक्षा में एवं प्रगतिशील शिक्षा में पाया जाता है – घनिष्ठ सम्बन्ध
·
विशेष बालकों के लिए उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती हैं – बाल केन्द्रित
शिक्षा में
Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
·
पाठ्यक्रम विविधता देन है – बाल केन्द्रित
शिक्षा एवं
प्रगतिशील शिक्षा
की
·
छात्रों के सर्वांगीण विकास का उद्देश्य निहित है – बाल केन्द्रित
शिक्षा एवं
प्रगतिशील शिक्षा
में
·
एक विद्यालय में जाति के आधार पर बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती है। इस शिक्षा को माना जायेगा – बाल केन्द्रित
शिक्षा
·
बालकों को विद्यालय में किसी जाति या धर्म का भेदभाव किए बिना बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के अनुसार शिक्षा प्रदान की जाती हैं। उनकी इस शिक्षा को माना जायेगा – आदर्शवादी शिक्षा
·
बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा है – एक-दूसरे
की पूरक
·
बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है – मनोविज्ञान, विज्ञान,
व तकनीकी
का
·
एक बालक की लम्बाई 3 फुट थी, दो वर्ष बाद उसकी लम्बाई 4 फुट हो गयी। बालक की लम्बाई में होने वाले परिवर्तन को माना जायेगा – वृद्धि एवं
विकास
·
स्किनर के अनुसार वृद्धि एवं विकास का उदेश्य है – प्रभावशाली
व्यक्तित्व
·
परिवर्तन की अवधारणा सम्बन्धित है – वृद्धि एवं
विकास से
·
वृद्धि एवं विकास का ज्ञान एक शिक्षक के लिए क्यों आवश्यक हैं – सर्वांगीण विकास
के लिए
·
क्रोगमैन के अनुसार वृद्धि का आशय है – जैविकीय संयमों
के अनुसार
वृद्धि
·
सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि सूचक है – धनात्मकता का
·
सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि मानी जाती है – परिवर्तन का
आधार
·
गैसेल के अनुसार संकुचित दृष्टिकोण है – वृद्धि का
·
गैसेल के अनुसार व्यापक दृष्टिकोण है – विकास का
·
निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य गैसेल के विकास के अवलोकन रूपों से सम्बन्धित है – शरीर रचनात्मक,
शरीर क्रिया
विज्ञानात्मक, व्यवहारात्मक
·
”विकास के अनुरूप व्यक्ति में नवीन योग्यताएं एवं विशेषताएं प्रकट होती है” यह कथन है –श्रीमती हरलॉक
का
·
सोरेन्स के अनुसार विकास है – परिपक्वता एवं
कार्य सुधार
की प्रक्रिया
·
अभिवृद्धि वृद्धि की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्था से
लेकर प्रौढ़ावस्था
तक
·
अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – शारीरिक
·
अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – मात्रात्मक
·
अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – रचनात्मक
·
अभिवृद्धि का क्रममानव को ले जाता है – वृद्धावस्था की
ओर
·
अभिवृद्धि कहलाती है – कोशिकीय वृद्धि
·
अभिवृद्धि एक धारणा है – संकीर्ण
·
अभिवृद्धि का सम्बन्ध है – शारीरिक परिवर्तन
से
·
अभिवृद्धि एक है – साधारण प्रक्रिया
·
अभिवृद्धि की प्रक्रिया सम्भव है – मापन
·
विकास की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्था से
बाल्यावस्था तक
·
विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – शारीरिक, मानसिक,
सामाजिक
·
वृद्धिएवं विकास के सन्दर्भ में सत्य है – अभिवृद्धि बाद
में होती
है व
विकास पहले
होता है।
·
विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – गुणात्मक
·
विकास की प्रक्रिया के परिणाम हो सकते हैं – रचनात्मक एवं
विध्वंसात्मक
·
विकास का प्रमुख सम्बन्ध है – परिपक्वता से
·
विकास के क्षेत्र को माना जाता है – व्यापक प्रक्रिया
से
·
विकास की प्रक्रिया को कठिनाई के आधार पर स्वीकार किया जाता है – जटिल प्रक्रिया
के रूप
में
·
विकास की प्रक्रिया में समावेश होता है – वृद्धि एवं
परिपक्वता का
·
विकास की प्रक्रिया का सम्भव है – भविष्यवाणी करना
·
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार संवेग है – मापात्मक अनुभव
·
‘संवेग पुनर्जागरण की प्रक्रिया है।” यह कथन है – क्रो एण्ड
क्रो का
·
‘संवेग शरीर की जटिल दशा है।’ यह कथन है – जेम्स ड्रेकर
का
·
संवेगों में मानव को अनुभूतियां होती है – सुखद व
दु:खद
·
संवेगों की उत्पत्ति होती है – परिस्थिति एवं
मूलप्रवृत्ति के
आधार पर
·
मैक्डूगल के अनुसार संवेग होते हैं – चौदह Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
·
भारतीय विद्वानों के अनुसार संवेगों के प्रकार है – दो
·
भारतीय विद्वानों के अनुसार संवेग है – रागात्मक संवेग
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