राजस्थान का अपवाह तंत्र : नदिया एवं झीले
1.राजस्थान
की अधिकांश नदिया बरसाती है| माहि व चम्बल प्रमुख बर्ह्मशी नदिया है तथा लूनी व
बनास प्रमुख बरसाती नदिया है|
2.अरावली
पर्वत श्रखला प्रदेश की नदियों को दो भागो में बाँटती है –
बंगाल
की खाङी में गिरने वाली नदिया : चम्बल , बनास , काली , सिंध ,पार्वती ,बानगंगा ,
खारी , बेङच , गंभीर आदि नदिया अरावली के पूर्वी भाग में प्रवाहित है|
अरबसागर
में जल ले जाने वाली नदिया – माही , सोम , जाखम , साबरमती , पश्चिमी बनास एवं लूनी
नदी आदि|
3.आंतरिक
जल प्रवाह की नदिया : व नदिया जो राज्य में अपने प्रवाह क्षेत्र में ही विलुप्त हो
जाती है – काकनी , कान्तली , साबी , घग्गर , मेन्था ,बांडी ,रूपनगढ़ आदि|
4.राज्य
में चुरू एवं बीकानेर इसे जिले है , जहा कोई नदी नही है| गंगानगर में यधपि पृथक्
से कोई नदी नही है| लेकिन बरसात होने पर घग्गर की बढ़ का पानी सूरतगढ़-अनुपगढ तक चला
जाता है|
5.राज्य
में पूर्णत बहने वाली सबसे लम्बी नदी तथा सर्वाधिक जलग्रहण क्षेत्र वाली नदी बनास
है|
6.राज्य
की सबसे लम्बी नदी तथा सर्वाधिक सतही जल वाली नदी चम्बल है|
7.राज्य
में कोटा संभाग में सर्वाधिक नदिया है एवं राज्य में सर्वाधिक बांध चम्बल नदी पर
बने हुए है|
8.चम्बल नदी पर भेषरोडगढ़ (चित्तोङगढ़) के निकट चुलिया
प्रपात तथा मंगली नदी पर बूंदी में प्रसिद्ध भीमलत प्रपात है|
9.राज्य के लगभग 60% क्षेत्र में आंतरिक जल प्रवाह प्रणली
विधमान है|
10.सर्वाधिक जिलो में बहने वाली नदिया : चम्बल , बनास एवं
लूनी| प्रत्येक नदी छ: जिलो में बहती है|
11.अन्तर्राज्यीय सीमा (राजस्थान और म्ध्यप्रदेश की सीमा)
बनाने वाली राज्य की एकमात्र नदी चम्बल है|
12.माही ,सोम एवं जाखम नदियों के संगम पर स्थित बेणेश्वर
धाम वनवाशियों का तीर्थ स्थल है|
13.सोम नदी के किनारे डूंगरपुर में देव सोमनाथ का मंदिर
स्थित है|
राजस्थान की प्रमुख नदिया
लूनी – लूनी नदी का उद्गम स्थल अजमेर की नाग
पहाङीया है|
लूनी नदी का बहाव क्षेत्र अजमेर – नागौर – पली – जोधपुर –
बाङमेर – जालौर – गुजरात इत्यादि|
495 किमी लम्बी यह नदी पूर्णतया बरसाती है इसका जल
बालोतरा तक मीठा व बाद में खारा है|
सहायक नदिया :- सुकरी , मिथङी ,बानडी खारी , जवाई ,लीलङी
, गुहिया एवं सागी ज़ोजङी है|
जवाई – जवाई नदी का उद्गम बाली(पाली) के गोरिया
गाँव की पहाङीया|
जवाई नदी का बहाव क्षेत्र : पाली –जालौर-बाङमेर में यह
लूनी नदी में मिल जाती है| सुमेरपुर (पाली) के निकट इस पर जवाई बांध बना हुआ है|
घग्घर नदी – घग्घर नदी को मृत नदी
भी कहते है
घग्घर नदी का उद्गम स्थान – हिमाचल प्रदेश में शिमला के
पास शिवालिक की पहाङिया|
राजस्थान में यह हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के
तलवाङा के पास प्रवेश कर हनुमानगढ़ में बहती हुई भटनेर के पास विलुप्त हो जाती है|
यह वैदिक संस्क्रति की सरस्वती नदी कहलाती है|
माही नदी – माही नदी का उद्गम
मध्यप्रदेश में धार जिले के सरदारपुरा के निकट विंध्याचल की पहाङियों में मेह्द
झील | माही नदी का बहाव क्षेत्र – यह राजस्थान में बाँसवाङा के खान्दू के पास
प्रवेश करती है
माही नदी का विलुप्ती स्थल – खम्भात की खाङी में
माही नदी के प्रवाह क्षेत्र को छप्पन का मैदान भी कहते
है| यह तीन राज्यों – राजस्थान,मध्यप्रदेश एवं गुजरात में बहती है| माही नदी कुल
लम्बाई :576 किमी है
माही नदी को वागङ एवं कांठल की गंगा तथा दक्षिणी
राजस्थान की सवर्ण रेखा भी कहते है|
माही नदी कर्क रेखा को दो बार पार करती है| माही नदी की
सहायक नदिया – ईरु ,सोम,जाखम,अनास,हरण,चाप,मोरेन व भादर है |
माही नदी पर बाँसवाङा के बोरखेङा ग्राम के पास इस पर
माही बजाज सागर बांध बनाया गया है|
सोम नदी – सोम नदी का उद्गम
तहसील खेरवाङा में ऋषभदेव (उदयपुर) के निकट बिछामेंङा की पहाङीया है|
सोम नदी का विलुप्ती स्थल – बेणेश्वर स्थान पर माही नदी
में विलय
सोम नदी की सहायक नदिया – जाखम ,टीडी ,गोमती व सारनी
इसकी सहायक नदिया है |
जाखम नदी – जाखम नदी का उद्गम
स्थान छोटी सादङी, प्रतापगढ़ | जाखम नदी का विलय बेणेश्वर के पास सोम नदी में हो
जाता है|
चम्बल नदी – चम्बल नदी को प्यार
में चर्मणवती एवं कामधेनु नदी भी कहा जाता है|चम्बल नदी का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश
में इंदौर जिले के महू के निकट विंध्याचल पर्वत की जानापाव की पहाङिया
बहाव क्षेत्र : उद्गम स्थल से 320 किमी उत्तर में बहने
के बाद यह मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले से यह राजस्थान में चोरासीगढ़ (मध्यप्रदेश) के
निकट से प्रवेश करती है |
चम्बल नदी यमुना की सहायक नदी है | चम्बल तीन राज्यों –
मध्यप्रदेश , राजस्थान व उत्तरप्रदेश में बहती है |
चम्बल नदी की कुल लम्बाई 1051 किमी है ,यह बारहमास नदी
है| राजस्थान में यह केवल 322 किमी बहती है
चम्बल नदी की सहायक नदिया : मध्यप्रदेश में मिलने वाली
सिवान,रेतम,शिप्रा| राजस्थान में मिलनेवाली :
आलनिया,परवन,बनास,कालीसिंध,पार्वती,बामनी,कुराल,मेज,छोटी कालीसिंध आदि |
चम्बल नदी पर भेसरोडगढ़ के निकट चुलिया प्रपात है |
सर्वाधिक बिहङ इसी नदी के क्षेत्र में है|
चम्बल नदी पर गांधीसागर , राणाप्रताप सागर , जवाहरसागर
बांध व कोटा बैराज बने हुए है |
पार्वती नदी – पार्वती नदी
उद्गम स्थल सेहोर में विंध्याचल श्रेणी (मध्यप्रदेश) | सवाईमाधोपुर व कोटा की सीमा
पर चम्बल में विलय |
कालीसिंध नदी – कालीसिंध नदी
का उद्गम देवास (मध्यप्रदेश) के पास बागली गाँव की पहाङिया | कालीसिंध नदी झालावाड
में रायपुर के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है |
कालीसिंध नदी की सहायक नदिया- आहू,परवन,आमझार, चोली व
उजाङ इसकी सहायक नदिया है
बनास नदी – बनास नदी का उद्गम राजसमन्द
में कुम्भलगढ़ के निकट खमनोर की पहाङिया |
राजस्थान में बहने वाली यह सबसे लम्बी नदी (512) किमी है
तथा यह बरसाती नदी है
बनास नदी को वन की आशा भी कहते है | राज्य में इसका
जलग्रहण क्षेत्र सर्वाधिक है |
बनास नदी की सहायक नदिया –बेङच , मेनाल ,कोठारी,खारी
,डाई,ढील ,सोहादरा ,मोरेल व कालीसिल |
बनास नदी पर टोंक जिले में बीसलपुर बांध निर्मित है
राजस्थान की अन्य प्रमुख नदिया – आहू
,गंभीर ,बेङच ,पार्वती इत्यादि |
राजस्थान की अन्य नदिया – सुकङी , बानंडी , सागी ,ज़ोजरी
, कान्तली ,काकनी ,साबरमती ,वाकल ,सेइ , अनास ,मोरेन ,नेवज ,परवन ,मेज ,चाकण ,छोटी
कालीसिंध ,बामनी ,कोठारी ,खारी ,माशी ,मोरेल ,कालीसिल ,डाइ ,सोहादरा ,ढील ,साबी ,मेंथा
,रूपनगढ़ ,बाणगंगा व रुपारेल |
राजस्थान की झीले
खारे पानी की झीले मुख्यत : उत्तरी-पश्चिमी मरुस्थलीय
भाग में पाई जाती है
खारे पानी की झीलों का मुख्या कारण टेथिस सागर के अवशेष
है |
खारे पानी की झीले :-
सांभर (जयपुर)
: राजस्थान की सबसे बङी खारे पानी
की झील
डीडवाना
: डीडवाना (नागौर)
पचपदरा :
बालोतरा (बारमेर)
फलोदी :
फलोदी (जोधपुर)
लूणकरणसर ;
लूणकरणसर (बीकानेर)
कावोद
: जैसलमेर
डेगाना :
नागौर
कुचामन :
नागौर
तालछापर :
चुरू
मीठे पानी की झीले :-
जयसमन्द (उदयपुर) – मीठे पानी की राजस्थान की सबसे बङी
कृत्रिम झील |
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