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लोकदेवता गरु जम्भेश्वर (जाम्भोजी) का इतिहास बस एक ही pdf में डाउनलोड 2022

लोकदेवता गुरु जाम्भोजी(जम्भेश्वर) भगवान का इतिहास सरल तरीके में यहाँ से पढ़े ........

लोकदेवता गुरु जाम्भोजी बिश्नोई समाज के एक महान संत थे जो विक्रम संवत् 1508 में नागौर जिले के एक छोटे से गाँव पिमपासर में अवतार लिया था | जाम्भोजी ने बिश्नोई समाज की स्थापना कर  वन्य जीवो की रक्षा एवं वृक्षों की रक्षा के लिये महत्वपूर्ण कार्य किया| गुरु जम्भेश्वर भगवान ने कुल 27 वर्षो तक गोचारण(गाये चराना ) का कार्य किया | बिश्नोई समाज के लोकदेवता गुरु जाम्भोजी ने समराथल नामक धोरे पर बिश्नोई पंथ की स्थापना की |

बिश्नोई समाज की स्थापना करते वक्त गुरु जाम्भोजी ने कुल 29rulesonlybishnoi का प्रकाशन किया | और उस 20+9  नियमो के कारण ही इस समाज का नाम बिश्नोई समाज पङा | और उस नियमो का बिश्नोई समाज आज बहुत सशक्तिकरण से पालन कर रहा है | 

दोस्तों आज हम इस पोस्ट में लोकदेवता गुरु जाम्बोजी का जीवन परिचय और इतिहास को जानेगे ...

लोकदेवता गुरु जम्भेश्वर (जाम्भोजी)का इतिहास 

लोकदेवता गुरु जाम्भोजी का जीवन परिचय  - 

लोकदेवता गुरु जाम्भोजी का जन्म 1451 ईस्वी (भाद्रपद कृषण अस्टमी ) को हुआ था |

गुरु जम्भेश्वर भगवान का जन्म नागौर जिले के एक छोटे से गाँव पिम्पासर में हुआ था |

गुरु जम्भेश्वर भगवान की माता का नाम  हंसा देवी था |

गुरु जाम्भोजी के पिता का नाम लोहटजी पंवार था|

गुरु जाम्भोजी का मंत्र था - विष्णु-विष्णु  तू भण रे प्राणी पेके लाख उपाजू|

लोकदेवता गुरु जाम्भोजी के प्रमुख मन्दिर(धार्मिक स्थल) - लोहावट साथरी ,मुकाम ,पिमपासर , जाजीवाल धोरा , समरथल धोरा ,रोटू ,जम्भोलाव धाम , बगरे वाला धोरा ,लोदीपुर ,लालासर साथरी  इत्यादि ...

लोकदेवता गुरु जाम्भोजी की याद में अमावस्या व्रत एवं जम्भेश्वर जन्मास्टमी का त्यौहार मनाया जाता है|


लोकदेवता गुरु जाम्बोजी (जम्भेश्वर) के प्रमुख ग्रन्थ - जमभसार,जम्भसागर,जम्भ सहिता ,बिश्नोई धर्मप्रकाश इत्यादि.......................................................................................................................................................

बिश्नोई समाज के ईस्ट लोकदेवता गुरु जाम्भोजी किस धर्म से सम्बन्धित थे  - हिन्दू धर्म से 

लोकदेवता गुरु जाम्भोजी की म्रत्यु कब और कहा हुयी थी  - मुक्ति धाम मुकाम (बिकानेर ) में 1536 ईस्वी के दिन लोकदेवता गुरु जाम्भोजी ने जीवित समाधि ले ली थी|

लोकदेवता गुरु जाम्भोजी ने कुल 29 नियमो का प्रकाशन किया था जिसका पालन आज भी निरंतर प्रगति पर है |

बार-बार पूछे गये प्रशन (FAQS)

1. जाम्भोजी कोन थे ?

उत्तर-  जाम्भोजी एक महान संत थे ,जिन्होंने पर्यावरण एवं जीवो की रक्षा के लिये 29 नियमो का प्रकाशन किया |
लोकदेवता गुरु जम्भेश्वर बिश्नोई समाज के महान प्रवर्तक संत थे |

2. लोकदेवता जाम्भोजी का मंत्र क्या था ?

उत्तर -  विष्णु-विष्णु तू भण रे प्राणी पेक लाख उपाजू रतन काया बैकुंठ बासो तेरा जरा मरण भय भन्जू |

3. लोकदेवता गुरु जम्भेश्वर भगवान की म्रत्यु कब हुयी थी?

उत्तर - 1536 ईस्वी में  85 वर्ष की आयु(उम्र) में लालासारगाँव (जयपुर ) में हुयी थी| मुकाम तलवा के निकट गुरु जाम्बोजी को समाधि दि गयी थी | उस स्थान को मुक्तिधाम मुकाम के नाम से जाना जाता है|

4. लोकदेवता गुरु जाम्बोजी का जन्म कहा और कब हुआ?

उत्तर -  वर्तमान नागौर जिले के पिम्पासर ग्राम में  1451 ईस्वी को हुआ था|

5. बिश्नोई समाज क्यों प्रशिद्ध है ?

उत्तर - वृक्षों की रक्षा के लिये - नमस्कार दोस्तों आपको ज्ञात ही  होगा की बिश्नोई समाज की अमर्तादेवी ने वृक्षों के रक्षा के लिये अपने प्राण त्याग डाले थे |

6. जाम्भोजी को किसका अवतार माना जाता है ?

उत्तर  - भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है गरु जाम्भोजी को |

7. लोकदेवता गुरु जाम्भोजी के गुरु कोन थे ?

उत्तर - गुरु गोरखनाथ जी |

नमस्कार साथियों एवं विधार्थियों केसी लगी यह पोस्ट निचे कमेंट बॉक्स में लिख कर जरुर बताना|


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